दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस.एन ढींगरा सहित 262 बुद्धिजीवियों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर तमिलनाडु राज्य के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिये गए बयान का स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया है, साथ ही तमिलनाडु राज्य सरकार की निष्क्रियता के प्रति जवाब देही सुनिश्चित करने और घृणास्पद भाषण, सार्वजनिक व्यवस्था और शांति बनाए रखने के प्रलोभन को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है।
बता दे कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में खेल युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन के कहा था कि, कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता है, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें खत्म करना है। उसी प्रकार हमें सनातन धर्म का विरोध नहीं, बल्कि उसे मिटाना है।
उन्होंने आगे जानबूझकर यह भी टिप्पणी की कि सनातन धर्म महिलाओं को गुलाम बनाता है और उन्हें अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं देता है।
उनके इस बयान से भारत के आम नागरिकों और विशेष रूप से सनातन धर्म में विश्वास करने वालों के दिल और दिमाग में बहुत पीड़ा पैदा की है। इसके अलावा इसकी वजह से सांप्रदायिक वैमनस्य और हिंसा भड़क सकती है।
दरअसल शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, जब तक विभिन्न धार्मिक समुदाय सदभाव से रहने में सक्षम नहीं होंगे तब तक भाईचारा नहीं हो सकता।
कोर्ट ने देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायत दर्ज होने की प्रतीक्षा किए बिना ऐसे मामलों में स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति समेत 262 बुद्धजीवियो ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हेट स्पीच मामले में कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।