Home सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाये जाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाये जाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाये जाने की मांग
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने अपनी 19वीं रिपोर्ट दाखिल करते हुए इस बात का समर्थन किया कि अगर कोई नेता दोषी है तो उसके चुनाव लड़ने पर मिली सजा के बाद छै: साल तक ही चुनाव लड़ने पर ही रोक है। इसके बजाय उनके चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

एमिकस क्यूरी ने रिपोर्ट में कहा है कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद स्थायी अयोग्यता के बाद उनकी अयोग्यता सिर्फ केवल छह वर्ष की अवधि के लिए है।

एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देशभर में सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है। सांसद और विधायकों के खिलाफ पिछले साल नवंबर तक कुल लंबित मामलों की संख्या 5175 थे। जबकि 2018 में खिलाफ लंबित मामलों की संख्या 4122 ही थे।

इन मामलों मे उत्तर प्रदेश पहले नम्बर पर है, जहां 2022 तक कुल 1377 केस लंबित हैं। जबकि यूपी के बाद बिहार राज्य है जहा 546 केस सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल सुनवाई कर सकता है। कोर्ट फिलहाल एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया के सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला लेगा।

दरअसल अश्विनी उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर किसी भी अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने वाले राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई है।
याचिका में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के धारा 8 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। साथ ही कोर्ट सांसद और विधयकों के खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटाने का निगरानी कर रहा है।

साथ ही कोर्ट ने इस मामले मे वकील विजय हंसारिया को न्याय मित्र नियुक्त किया है। उन्होंने इसमे अपनी रिपोर्ट कोर्ट मे दाखिल की है।

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