वारज्ञानवापी सर्वेक्षण से संबंधित रिपोर्ट दाखिल करने के लिये एक बार फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वाराणसी जिला अदालत से 4 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। आवेदन देते हुये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से पेश हुये अधिवक्ता ने कहा कि कुछ और समय सर्वेक्षण में लग सकता है, क्योंकि कचरा, ढीली मिट्टी और निर्माण सामग्री सहित बहुत सारा कचरा तहखाने में फर्श के स्तर के साथ-साथ संरचना के चारों ओर फेंक दिया जाता है, जिससे संरचना की मूल विशेषताएं ढकी हुई हैं। इसलिए एएसआई को इसे साफ़ करने में समय लग रहा है। अदालत ने इससे पहले 6 अक्टूबर तक अपनी सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
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अधिवक्ता द्वारा दायर आवेदन में कहा गया कि चूंकि अदालत ने एएसआई को सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, इसलिए यह आवश्यक है कि वहां डंप की गई या जमा हुये मलबे की संरचना को बिना कोई नुकसान पहुंचाए हटा दिया जाए। वही “रुक-रुक कर हो रही बारिश से सर्वेक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है और वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग मुश्किल हो गया है। मलबा बहुत सावधानी से और व्यवस्थित रूप से हटाया जा रहा है, जो धीमी प्रक्रिया है और तहखानों को जमींदोज करने में कुछ और समय लगेगार मौजूदा संरचनाओं की संरचनात्मक विशेषताओं को अदालत के निर्देशानुसार एक सर्वेक्षण के लिए मंजूरी दे दी गई है।”
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बता दे कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है, जिससे यह पता किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ‘वुज़ुखाना’ क्षेत्र को छोड़कर, जहां पिछले साल ‘शिवलिंग’ पाए जाने का दावा किया गया था, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने से रोकने से इनकार कर दिया है। अदालत ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाले अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के 3 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुये भारतीय पुरातत्व को सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।