Home सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने जजों की चयन के तरीके पर अपनाए गये दृष्टिकोण पर फिर से जताई असहमति, कहा इससे वरिष्ठता पर पड़ता असर

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की चयन के तरीके पर अपनाए गये दृष्टिकोण पर फिर से जताई असहमति, कहा इससे वरिष्ठता पर पड़ता असर

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की चयन के तरीके पर अपनाए गये दृष्टिकोण पर फिर से जताई असहमति, कहा इससे वरिष्ठता पर पड़ता असर
उच्चतम न्यायालय

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने अवमानना याचिका (सिविल) क्रमांक 867 साल 2021 में स्थानांतरण याचिका (सिविल) क्रमांक 2419 / 2019 एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु बनाम बरुण मित्रा एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिये कॉलेजियम प्रस्तावों से नामों को चुनिंदा रूप से स्वीकार करने में केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गये दृष्टिकोण पर फिर से असहमति जताई। पीठ ने कहा कि हाल ही में हुई नियुक्तियां सिलेक्टिव तरीके से हुई हैं। पीठ ने कहा कि अपॉइंटमेंट के लिये पहले चयन करना और फिर उन्हीं में से चुन लेना समस्या पैदा करता है। कोर्ट ने कहा, “उम्मीद है कि कॉलेजियम और कोर्ट के लिए ऐसी स्थिति पैदा नहीं होगी कि वह कोई ऐसा फैसला ले जो स्वीकार्य न हो। अगर नियुक्ति ‘चयनात्मक’ तरीके से की जाती है तो इससे वरिष्ठता पर असर पड़ता है।

पीठ ने सुनवाई करते हुये कहा कि इसके चलते नामांकित व्यक्तियों की परस्पर वरिष्ठता में गड़बड़ी हुई। अदालत ने कहा कि पांच नाम ऐसे हैं, जो बार-बार दोहराए जाने के बावजूद लंबित हैं और इन पर ध्यान देने की जरूरत है।इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इस पर सरकार के साथ चर्चा होगी। मामले को सुनवाई के लिए 20 नवंबर के लिए लिस्टेड करना चाहिए। कोर्ट ने ट्रांसफर के मुद्दे पर भी चिंता जताई। वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कोर्ट से दिशा-निर्देश तय करने का आग्रह किया। वहीं, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट सख्ती बरते, नहीं तो सरकार को यह आभास हो रहा है कि वह इससे बच सकती है। भूषण ने शीर्ष अदालत से कानून मंत्री को अवमानना ​​के लिए तलब करने का आग्रह भी किया।

पीठ ने चेतवानी देते हुये कहा कि तबादलों को अधिसूचित किया जाना चाहिए, अन्यथा, यह प्रणाली में एक विसंगति पैदा करता है। एक बार एक न्यायाधीश नियुक्त हो जाने के बाद, जहां वे अपना न्यायिक कार्य करते हैं, यह सरकार के लिए कोई चिंता का विषय नहीं है। कल, कॉलेजियम सामूहिक रूप से एक विशेष पीठ को न्यायिक कार्य न देने की सलाह दे सकता है । हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर न करें, लेकिन ऐसा करना हमारी शक्तियों से परे नहीं है। यह कोई अनायास टिप्पणी नहीं है, बल्कि कुछ ऐसा है जिस पर मैंने कॉलेजियम के साथ चर्चा की है।

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