
यूपी के जालौन में पति ने साथी के साथ मिलकर 2 साल पहले अपनी पत्नी की हत्या करने की कोशिश की थी, साथ ही उसकी पहचान मिटाने के लिए ज्वलनशील पदार्थ डाल दिया था और हाइवे किनारे फेंककर भाग गया था। इस मामले में हत्या की कोशिश करने वाले महिला के पति और उसके साथी को जालौन के न्यायालय अपर जिला जज स्पेशल एससी/एसटी एक्ट कोर्ट के न्यायालय ने 10-10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही कोर्ट ने दोनों दोषियों पर 63-63 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद दोनों दोषियों को पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
हत्या करने के उद्देश्य से साजिश के तहत बुलाया था युवती को
मामला उरई कोतवाली के अजनारी रोड स्थित झांसी कानपुर नेशनल हाईवे के पास का है। जहां 6 जुलाई 2021 को अजनारी रोड स्थित हाईवे के पास पूंछ थाना के ग्राम सेंसा की रहने वाली उमा पुत्री मुन्नीलाल खून से लथपथ और जली हुई हालत में पड़ी मिली थी। जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस मामले में उमा के पिता मुन्नीलाल ने उसके पहले पति आरिफ खान पुत्र शब्बीर खां निवासी सेसा थाना पूंछ जिला झांसी और उसके साथी फिरोज खां पुत्र प्रेमी मासीन खान निवासी भिटारा थाना एट, जालौन के खिलाफ हत्या की साजिश रचने, जानलेवा हमला और ज्वलनशील पदार्थ डालने जैसी गंभीर धाराओं में मामला पंजीकृत कराया था।
जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली थी कि उमा और आरिफ एक दूसरे ने लव मैरिज की थी, शादी के छह माह बाद ही दोनों के रिश्ते खराब हो गये थे, बाद में उमा और आरिफ अलग हो गए थे और दोनों ने अलग-अलग शादी कर ली थी। उमा अपने पति के साथ राजस्थान रहने लगी थी।।शादी के कुछ माह बाद जब उमा राजस्थान से अपने पिता के घर आई, इसकी जानकारी आरिफ को हुई और उसने उमा को बुलाया, मगर उमा ने आने से मना कर दिया, मगर कई बार बुलाने के बाद उमा ने उससे मिलने की हामी भर दी, जिसके बाद आरिफ ने अपने दोस्त फिरोज के साथ मिलकर उमा को मारने की योजना बनाई। योजना के तहत आरिफ ने उमा को अपने बताए गई जगह पर बुलाया और उसे उरई के अजनारी रोड पर लेकर मारपीट की गई और धारदार हथियार से हमलाकर उसे मरा हुआ समझकर उसके ऊपर ज्वलन शील पदार्थ डाल दिया था, जिससे उसकी पहचान न हो सके। इस वारदात को अंजाम लेने के बाद वह अपने साथी के साथ मौके से भाग गया। वहां से निकलने वाले राहगीरों ने सड़क किनारे युवती देख इसकी सूचना पुलिस को दी थी और उसे मरणासन्न हालत में अस्पताल में भर्ती कराया था। इधर लंबे समय तक चले इलाज के बाद उमा ठीक हो गई थी, जिस पर उसके बयान के आधार पर पुलिस ने आरिफ और फिरोज के खिलाफ न्यायालय में साक्ष्य के साथ आरोप पत्र दाखिल कर दिए थे।
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता रणकेंद्र भदौरिया ने अवगत कराते हुए बताया कि इस मामले की सुनवाई न्यायालय अपर जिला जज स्पेशल एससी/एसटी एक्ट के न्यायाधीश शिव कुमार द्वितीय की अदालत में चल रही थी, जहां सोमवार को न्यायालय अपर जिला जज स्पेशल एससी/एसटी के न्यायाधीश के यहां सुनवाई पूरी होने के बाद आरिफ और फिरोज को साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दोषी मानते हुए 10- 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही दोनों दोषियों पर 63-63 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।