
न्याय के क्षेत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुझे जो कुछ मिला, उसे संभालकर रखना मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती है, साथ ही एक वकील और न्यायमूर्ति के रूप में अगर आपने इलाहाबाद नहीं देखा तो जुडिशियरी में फिर कुछ नहीं देखा। यह बात सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने रिटायर होने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह कार्यक्रम में कही।
उन्होने विदाई समारोह के दौरान कहा कि इलाहाबाद में दो विभूतियां बहुत प्रसिद्ध हैं, एक माँ गंगा, और दूसरा अधिवक्ता’’। समारोह के दौरान मुख्य नययाधीश ने अपने कई अनछुए अनुभव साझा किये, इस दौरान उन्होने कहा कि यह जो इमारत तैयार हो रही है, मेरा मानना है कि पूरे देश में अधिवक्ताओं के लिए इस तरह की व्यवस्था नहीं होगी।
मुख्य न्यायाधीश के विदाई समारोह में न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने अपने उपस्थित अधिवक्ताओं से कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय पूरे प्रदेश की जनता की आस्था और विश्वास का केन्द्र है, यह भविष्य में इसी तरह कायम रहे। इसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। इस विदाई समारोह में न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि अपने बीच आकर एक सुखद अनुभूति होती है। हम लोग तो मौका ढूढते रहते है अपनों की बीच आने का। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा बार एसोसिएशन के हित में जो भी कार्य रहा हों, उसको पूर्ण करने में हमेशा आगे रहे हैं। कोविड-19 के दौरान भी किसी को भी निराश नहीं होने दिया।
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि किस प्रकार से हम एक दूसरे के दिल को छू जाये, इस तरह का मौका तलाशते रहते हैं। हम लोगों का जो दृष्टिकोण रहा उससे प्रेरित होना हम सभी का स्वाभाविक है। मुख्य न्यायाधीश से मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला, जो मेरे जीवन में चिरस्थायी रहेगा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर के विदाई समारोह की अध्यक्षता, अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने की। कार्यक्रम का संचालन उपाध्यक्ष आशुतोष पांडेय और महासचिव नितिन शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।