Sunday, August 3, 2025
spot_img
Homeउत्तर प्रदेशइलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहित जोड़े की सुरक्षा याचिका की खारिज, कोर्ट...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहित जोड़े की सुरक्षा याचिका की खारिज, कोर्ट ने कहा, विवाहित जोड़े ने यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 का नहीं किया पालन

spot_img

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के न्यायमूर्ति जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने 29 अगस्त को WRIT- C No- 23672/2023 श्रद्धा उर्फ जन्नत और अन्य बनाम यूपी राज्य और 5 अन्य के मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है, अदालत में यह याचिका अंतर-धार्मिक जोड़े द्वारा सुरक्षा को लेकर दाखिल थी, उक्त जोड़े ने कथित तौर पर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार एक-दूसरे से शादी की है।

कोर्ट ने कहा, यूपी ‘धर्मांतरण विरोधी’ कानून का नहीं हुआ पालन

अदालत ने कहा “याचिकाकर्ता नंबर 1 जो जन्म से मुस्लिम है, उसने खुद को हिंदू धर्म में परिवर्तित करने से पहले यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 की धारा 8 और 9 का पालन नहीं किया। इस मामले में याचिकाकर्ता नंबर 1 मुस्लिम धार्मिक समुदाय से है, जबकि याचिकाकर्ता नंबर 2 हिंदू है। याचिकाकर्ता नंबर 1 द्वारा याचिकाकर्ता नंबर 2 के साथ हिंदू धर्म के तहत विवाह करने के बयान को एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के अभाव में इस स्तर पर प्रभावी नहीं किया जा सकता है। इसलिये याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती है।“ संदर्भ के लिए एक्ट की धारा 8 उस व्यक्ति के लिए जो अपना धर्म बदलाना चाहता है, यह अनिवार्य करती है कि उसे कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को घोषणा पत्र देना होगा कि धर्म परिवर्तन करने का निर्णय उसका अपना है। वहीं एक्ट की धारा 9 धर्म परिवर्तन के बाद की घोषणा से संबंधित है।

 

यह है प्रकरण

अंतर-धार्मिक जोड़े/याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट मदन सुरक्षा याचिका दायर की, कि वह दोनों वयस्क हो गये हैं और वह एक-दूसरे के साथ खुशी से रह रहे हैं। उन्होंने आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी शादी की है, जिसके लिये विवाह प्रमाण पत्र जारी किया गया है। उन्होंने अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिये ऑनलाइन आवेदन भी किया है। प्याज का करता नंबर एक ने कहा है उसकी मां एक हिंदू धर्म से थी, जिसने एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ अपनी शादी की है, साथ ही यह कहा गया कि याचिकाकर्ता दूर के ममेरे भाई-बहन हैं, भले ही याचिकाकर्ता नंबर 1 जन्म से मुस्लिम है और याचिकाकर्ता नंबर 2 की मां और चाची के रूप में अलग-अलग समुदायों से होने पर भी लड़की की मां के ननिहाल पक्ष से है।
आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि लड़की ने 30 जून, 2023 को जिला मजिस्ट्रेट, मेरठ और सहारनपुर के समक्ष आवेदन दिया। साथ ही न्यूज पेपर में यह प्रकाशित कराया कि उसने अपना नाम और धर्म बदल लिया है। हालांकि, उसके पिता इस शांतिपूर्ण लिव-इन रिलेशनशिप में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनकी सुरक्षा याचिका का विरोध करते हुए राज्य के सरकारी अधिवक्ता ने लड़की के धर्मांतरण का जिक्र करते हुए कहा कि उनका विवाह यूपी विरोधी धर्मांतरण कानून में निहित विधायी निषेध के दायरे में आएगा। यह तर्क दिया गया कि एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के बिना किसी भी याचिकाकर्ता का भविष्य में दूसरे धर्म में परिवर्तन कानून के अनुसार नहीं होगा।
इस पृष्ठभूमि में यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता दूर के चचेरे भाई-बहन हैं और इसे प्रथम दृष्टया पुन: धर्मांतरण का मामला नहीं माना जा सकता, न्यायालय ने एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के अभाव में याचिका खारिज कर दी। हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के लिए एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के लिए जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करने और एक्ट के तहत आवश्यक आदेश प्राप्त करने का अधिकार खुला रखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट से आवश्यक मंजूरी मांगते हैं तो वे अदालत के समक्ष नई याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

 

ऑर्डर की कॉपी यहां से प्राप्त करें

shraddha-jannat-and-another-vs-state-of-up-and 5 others

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments