यूपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में वकीलों की हड़ताल को आपराधिक अवमानना करार दिया है, साथ ही कहा है कि कोई भी वकील या बार एसोसिएशन जिस किसी भी नाम से हो, यदि हड़ताल करता है या प्रस्ताव करता है या न्यायिक कार्य से विरत रहता है, तो जिला जज की रिपोर्ट पर उसके खिलाफ स्वत: आपराधिक अवमानना कार्यवाही की जायेगी। कोर्ट ने सभी जिला जजों को वकीलों की हड़ताल या न्यायिक कार्य बहिष्कार की रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है, ताकि अवमानना की कार्यवाही हो सके।
बार काउंसिल आफ इंडिया व उ.प्र बार काउंसिल ने भी वकीलों की हड़ताल का विरोध किया और प्रस्ताव किया है कि अधिवक्ता साथी की मौत पर शाम साढ़े तीन बजे शोक सभा की जाए, ताकि न्यायिक कार्य प्रभावित न हो। कोर्ट ने कहा इस प्रस्ताव का उल्लघंन पर आपराधिक अवमानना कार्यवाही की जायेगी।
बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र व उ.प्र बार काउंसिल के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के ओझा ने कहा कि वकीलों की शिकायतों की सुनवाई नहीं होती तो उनके पास हड़ताल के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचता। इस पर महानिबंधक ने कोर्ट को बताया कि 3 मई 2023 को ही हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश व जिला अदालतों में जिला जज/सीनियर अपर जिला जज की अध्यक्षता में शिकायत निवारण समिति गठित की गई है।
हाईकोर्ट की समिति में मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राजन राय, न्यायमूर्ति फ़ैज आलम खां, महाधिवक्ता, उ. प्र बार काउंसिल अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष शामिल हैं। इसी प्रकार प्रदेश की सभी जिला अदालतों की समिति में जिला जज, सीनियर अपर जिला जज, सीजेएम, डीजीसी सिविल व क्रिमिनल व बार एसोसिएशन अध्यक्ष शामिल हैं। दोनों अधिवक्ताओं के यह कहने पर कि अधिकांश समस्या प्रशासन की पहल पर खत्म हो सकती है इसलिए जिला प्रशासन के अधिकारी को भी समिति में रखा जाय। इसपर कोर्ट ने जिलाधिकारी या नामित अपर जिलाधिकारी को समिति में शामिल करने का निर्देश दिया और महानिबंधक को सभी जिला जज को सूचित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश दिया है कि इसे सभी जिला जजों को भेजें जिसे नोटिस बोर्ड पर लगाया जाय,ताकि शोक सभा साढ़े तीन बजे से करने के प्रस्ताव का कड़ाई से पालन किया जाय। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 25 सितंबर 2024 नियत करते हुए महानिबंधक से आदेश के अनुपालन की सभी जिलों की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डा गौतम चौधरी की खंडपीठ ने जिला जज प्रयागराज की रिपोर्ट पर शुरु की गई आपराधिक अवमानना केस की सुनवाई करते हुए दिया है।
मालूम हो कि कोर्ट ने जिला अदालत प्रयागराज में जुलाई 23 से अप्रैल 24 के बीच अदालत में न्यायिक कामकाज की रिपोर्ट मांगी। जिसपर पेश रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में 218 कार्य दिवस में से 127 दिन हड़ताल रही। 41.74 फीसदी दिन काम हुआ और 58.26 फीसदी दिन वकीलों की हड़ताल रही।
कोर्ट ने कहा पूर्व कैप्टन हरीश उप्पल केस में सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की हड़ताल को अवैध करार दिया है।और यह भी कहा है कि वकीलों को हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन केस में वकीलों की हड़ताल को न केवल आपराधिक अवमानना अपितु व्यावसायिक कदाचार करार दिया है ।
कोर्ट ने नोटिस जारी की और बार काउंसिल से पक्ष रखने को कहा।और महानिबंधक से सभी जिला अदालतों की रिपोर्ट मांगी।महानिबंधक ने पूरे प्रदेश की जिला अदालतों की कमोवेश प्रयागराज जैसी ही हालत बताई। दोनों बार काउंसिल ने वकीलों की हड़ताल का विरोध किया और कहा कि इस आशय का प्रस्ताव पारित कर भेजा गया है।
उ प्र बार काउंसिल ने 21 जनवरी 24 के प्रस्ताव से सभी बार एसोसिएशन से कहा है कि अपने साथी अधिवक्ता की मौत पर शोक सभी साढ़े तीन बजे करें और न्यायिक कार्य से विरत न हो। कोर्ट ने कहा जब तक न्याय प्रशासन ठीक से काम नहीं करेगा प्रदेश में कानून का शासन सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा।
किसी भी बार संगठन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कानून का उल्लघंन करने की अनुमति नहीं है।यह फैसला अनुच्छेद 141मे पूरे देश में प्रभावी व बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा वकालत नोबल प्रोफेशन है। जो कोर्ट के जरिए नागरिकों के अधिकार संरक्षित करता है। कोर्ट ने कहा देश की आजादी में वकीलों का बड़ा योगदान रहा है। वकील आम आदमी के हित के ऊपर अपना हित न रखें।