Home उत्तर प्रदेश अलीगढ़ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने हिन्दू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करने वाले एएमयू के प्रोफेसर की अग्रिम जमानत की खारिज

अलीगढ़ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने हिन्दू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करने वाले एएमयू के प्रोफेसर की अग्रिम जमानत की खारिज

अलीगढ़ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने हिन्दू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करने वाले एएमयू के प्रोफेसर की अग्रिम जमानत की खारिज
जिला एवं सत्र न्यायालय अलीगढ़

अप्रैल 2022 में लेक्चर के दौरान प्रोजेक्टर पर दर्शाये गये पॉइंट्स में हिन्दू धर्म की भावनाएं आहत करते अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से सम्बद्ध जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडीसिन डिपार्टमेन्ट के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने अभद्र टिप्पणी की थी, जिस पर उनके खिलाफ़ आईपीसी की धारा 153a, 295a,298,505(2) के तहत निशित शर्मा पुत्र प्रभात शर्मा ने एफ़आईआर दर्ज कराई थी, इस मामले में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने अलीगढ़ की न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहाँ अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवीश कुमार अत्री ने खारिज कर दिया।

न्यायाधीश ने कहा

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अत्री ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करते हुये कहा, “पूर्व में प्रस्तुत अग्रिम जमानत को गुण व दोष के आधार पर निस्तारित करते हुये निरस्त किया जा चुका है और अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त होने के बाद ऐसा कोई नवीन तथ्य उजागर नहीं हुआ, जिसमें अभियुक्त को जमानत दिये जाने का आधार बनता हो। इसीलिए मामले के तथ्यों और गुण दोष पर बिना कोई मत व्यक्त किए प्रार्थी/अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किये जाने का पर्याप्त आधार नहीं है, तदनुसार प्रस्तुत मामले में प्रार्थी/अभियुक्त डॉ. जितेंद्र कुमार की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है।”

जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज(एएमयू) में फोरेंसिक मेडीसिन डिपार्टमेन्ट के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने अलीगढ़ की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन संख्या 5168/2023 का प्रार्थना पत्र शपथ पत्र के साथ दाखिल किया था, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान अभियुक्त पक्ष की तरफ से विद्वान अधिवक्ता तथा सरकार की तरफ से विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता को सुना गया।

डॉक्टर जितेंद्र की तरफ से अधिवक्ता ने रखा पक्ष 

अभियुक्त पक्ष डॉक्टर जितेंद्र कुमार के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र पर बल देते हुए तर्क प्रस्तुत किया गया कि उसके पक्ष को उक्त प्रकरण में गलत वह झूठा फसाया गया है, वह पूर्णत: निर्दोष है, उसके विरुद्ध प्रस्तुत एफ़आईआर आईपीसी की धारा 153ए, 295ए, 298 व 505(2) के अंतर्गत पंजीकृत कराई गई और उक्त धाराओं में ही उसके विरुद्ध वाद विवेचना आरोप पत्र न्यायालय मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा संज्ञान दिया जा चुका है, दौरान विवेचन प्रस्तुत प्रकरण में प्रार्थी/अभियुक्त द्वारा अग्रिम जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया जो न्यायालय द्वारा पूर्व में निरस्त किया जा चुका है।

विद्धान अधिवक्ता ने अभियुक्त पक्ष की तरफ से पैरवी करते हुए कहा, “डॉक्टर जितेंद्र कुमार जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडीसिन विभाग में एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्रों को पढ़ाये जा रहे विषय पर उदाहरण देकर बातें बता रहे थे, मगर उनके खिलाफ निशित शर्मा द्वारा मुकदमा पंजीकृत कराया गया, जबकि वह एमबीबीएस का छात्र नहीं है। विवेचना द्वारा घटना की सही तत्वों की सत्यता जानने का प्रयास नहीं किया गया, मात्र सोशल मीडिया पर वायरल हुये तत्वों के आधार पर गलत विवेचना कर आरोप पत्र प्रस्तुत किये गये हैं, विवेचक द्वारा घटना से संबंधित कंप्यूटर, लैपटॉप, और टैबलेट को भी बरामद नहीं किया गया। अभियुक्त एक संभ्रांत व्यक्ति है, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है, जिसके विरुद्ध विश्वसनीय साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है, इस प्रकार प्रार्थी/अभियुक्त को अग्रिम जमानत पर रिहा किये जाने की याचना की गई।

जमानत याचिका का सरकारी वकील ने किया विरोध

अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) द्वारा जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि अभियुक्त द्वारा कार्य अपराध गंभीर प्रकृति का है और उसके द्वारा पूर्व में भी अग्रिम जमानत हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था, जो न्यायालय द्वारा गुण दोष की आधार पर निरस्त किया जा चुका है, प्रकरण में अभियुक्त को असत्य रूप से आलिप्त किये जाने का कोई आधार नहीं है, अतः अभियुक्त की अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने की याचिका की गई है। पूर्व में प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित आदेश दिनांक 28/4/22 की प्रति भी दाखिल की गई।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवीश कुमार अत्री ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार की अग्रिम जमानत याचिका निस्तारित करते हुए निरस्त कर दी।

आदेश की कॉपी यहाँ से डाउनलोड करें

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