
शनिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे और उसकी रिपोर्ट दाखिल करने की समय सीमा को बढ़ाने के लिए वाराणसी के अपर जिला जज संजीव सिन्हा की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है, अदालत ने सील वजूखाने को छोड ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने और उसकी रिपोर्ट 2 सितंबर तक जमा करने के आदेश दिये थे। मगर एएसआई ने ज्ञानवापी सर्वेक्षण संबंधित रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 8 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। एएसआई की टीम 4 अगस्त से सर्वे कर रही है। जिसमें जीपीआर तकनीक का सहारा भी लिया गया था। केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे फिलहाल जारी है।
शनिवार को समय सीमा बढ़ाने के लिए वाराणसी के अपर जिला जज (प्रथम) संजीव सिंहा की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर मांग की गई, मगर एक अधिवक्ता के निधन होने के कारण अदालत में इस पर सुनवाई नहीं की जा सकी और अब इस मामले की सुनवाई 8 सितंबर को होगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की तरफ से केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने वादिनी के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी और पैरोकार सोहनलाल आर्य के साथ अदालत में आवेदन दाखिल किया। एएसआई की ओर से आवेदन पत्र दाखिल करते हुये अधिवक्ता ने कहा है कि सर्वेक्षण में कुछ और समय लगने की उम्मीद है, क्योंकि तहखाने में फर्श समेत संरचना के चारों ओर कचरा, मिट्टी और बहुत सारा मलबा पड़ा हुआ है, जिनसे संरचना की मूल विशेषताएं ढंकी हुई हैं। एएसआई को उन्हें साफ करने में समय लग रहा है।
इस अर्जी पर आठ सितंबर को सुनवाई होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि एएसआई इस समय वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है। वाराणसी जिला जज ने 21 जुलाई को एएसआई को यह जांच करने का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। एएसआई करीब 30 दिन पहले ही परिसर का सर्वेक्षण कर चुका है।