Sunday, August 3, 2025
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बोले, राष्ट्र की आवाज सुन रहे, अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा की ओर से भेजे गये ईमेल पर दी प्रतिक्रिया

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शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह आम नागरिकों की बात नहीं सुनता है। पीठ ने कहा, नेदुम्पारा, मैं आपके साथ इस मुद्दे में शामिल नहीं होना चाहता, लेकिन महासचिव ने मुझे आपके द्वारा उच्चतम न्यायालय को लिखे गये ईमेल के बारे में सूचित किया है, जिसमें आपने कहा है, कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिये और केवल गैर संविधान पीठ मामलों की सुनवाई करनी चाहिये।’

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मुद्दे पर ‘राष्ट्र की आवाज’ और कश्मीर के व्यक्तियों की आवाज सुन रहा है। पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा की ओर से सर्वोच्च न्यायालय को लिखे ईमेल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कही है।

सुप्रीम कोर्ट को भेजे गये ईमेल में अधिवक्ता नेदुम्पारा ने दावा किया था, “शीर्ष अदालत केवल संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई कर रही है, जिसमें कोई सार्वजनिक हित शामिल नहीं है तथा वह आम नागरिकों के मामले नहीं सुन रही है।

सीजेआई डी.वाई चंदचूड़

मुख्य न्यायाधीश बोले, राष्ट्र की आवाज सुन रहे

वही न्यायालय में अधिवक्ता नेदुम्पारा ने स्वीकार किया, “उन्होंने शीर्ष अदालत को ईमेल लिखा था, और कहा कि गैर संवधान पीठ के मामलों से उनका तात्पर्य ‘आम लोगों के मामलों से है। वही मुख्य नयायाधीश ने संविधान पीठ के मामलों के महत्व पर जोर देते हुये कहा, ‘‘मैं आपको बस यह बताना चाहता था कि ऐसा लगता है कि आपको नहीं पता कि संविधान पीठ के मामले क्या हैं और आप संविधान पीठ के मामलों के महत्व से अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं, जिनमें अक्सर संविधान की व्याख्या शामिल होती है, जो भारत में कानूनी ढांचे की नींव बनाती है.”उन्होंने कहा,‘‘आप अनुच्छेद 370 के बारे में सोच सकते हैं- यह मुद्दा प्रासंगिक नहीं है, मुझे नहीं लगता कि सरकार या उस मामले में याचिकाकर्ताओं को ऐसा लगता है, अनुच्छेद 370 मामले में हमने व्यक्तियों के समूहों और हस्तक्षेप करने वालों को सुना जो घाटी से आये थे और हमारे समक्ष अपनी बात रखी. इसलिए, हम राष्ट्र की आवाज़ सुन रहे हैं।”

सर्वोच्च अदालत ने 16 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद, तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अधिवक्ता ने कोर्ट पर की थी टिप्पणी

मामला उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम कंपनी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसके लिए अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा पेश हुए थे, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर इसलिए विचार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में इसे चुनौती नहीं दी और इसके बजाय मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आदेश जारी होने के बाद निकलते समय नेदुम्पारा ने कहा कि अदालत को छोटे व्यवसाय उद्यमों का ध्यान रखना चाहिए, इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने उनके द्वारा शीर्ष अदालत को लिखे गये ईमेल के बारे में सवाल किया।

अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट की सराहना की

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने अधिवक्ता से कहा, “वह अपने दिमाग से इस बात को निकाल दें कि सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ ‘केवल कुछ पसंदीदा’ मामलों की सुनवाई कर रही है, जिनका आम लोगों के जीवन पर कोई असर नहीं है।“ अदालत की आलोचना का सामना करने के बाद, अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा ने कहा, “सर्वोच्च अदालत डिजिटल तरीके से सुनवाई को सक्षम बनाने का अच्छा काम करने के लिये अदालत को सलाम करते हैं, जिससे अधिवक्ताओं और वादकारियों को काफी फायदा हुआ।

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