
रविवार को महाराष्ट्र के नागपुर स्थित महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच और बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा, अधिवक्ता और न्यायाधीश को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। दोनों एक ही गाड़ी के पहिये है, साथ ही “हम सबको मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन खुद को नहीं।” हमारा कानूनी पेशा फलेगा-फूलेगा या खत्म हो जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपनी ईमानदारी बरकरार रखते हैं या नहीं। सीजेआई ने कहा- हम सभी अपने विवेक के साथ सोते हैं। यह हर रात सवाल पूछता रहता है। हम या तो ईमानदारी के साथ जिंदा रहेंगे या खुद का आत्म-विनाश कर लेंगे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा ईमानदारी कानूनी पेशे का मुख्य स्तंभ है। यह एक आंधी से नहीं मिटती है, यह छोटी-छोटी रियायतों और समझौतों से मिटती है, जो अधिवक्ता और न्यायाधीश कई बार अपने मुबक्किल को देते हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंदचूड़ ने कहा कि बार और बेंच एक गाड़ी के दो पहिये है। उन्होने कहा कि अधिवक्ता और न्यायाधीश को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अधिवक्ताओं को तब सम्मान मिलता है, जब वह न्यायाधीशों का सम्मान करते हैं और न्यायाधीशों को तब सम्मान मिलता है, जब वह अधिवक्ताओं का सम्मान करते हैं। यह तब होता है जब दोनों को लगता है कि दोनों न्याय के एक ही पहिए के हिस्से हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय कानूनी पेशे के सामने एक जरूरी चुनौती समान अवसर वाला पेशा बनाना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज की कानूनी पेशे की संरचना इसे 30 या 40 साल बाद परिभाषित करेगी।