यूपी के लखीमपुर जनपद के निघासन गैंगरेप-हत्याकांड में शुक्रवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है न्यायाधीश द्वारा इस हत्याकांड में शामिल नाबालिग आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है, साथ ही 46 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया है। इस केस की सुनवाई करने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राहुल सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, ”आरोपी की उम्र भले ही कम हो, मगर उसके द्वारा अपराध पेशेवर जैसा किया गया है।”
इस मामले में पुलिस ने कुछ 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिसमें पांच को दोषी करार दिया गया था। 4 आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें जुनैद और सुनील को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जबकि करीमुद्दीन और आरिफ को 6-6 साल की सजा हुई थी, वही छठवां आरोपी नाबालिग है, जिसे बाल सुधार गृह में रखा गया है। विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो बृजेश पांडेय ने बताया कि आरोपी बाल अपचारी के खिलाफ 14 गवाह, 24 दस्तावेजी साक्ष्य, 40 वस्तुओं के साथ-साथ फोरेंसिक रिपोर्ट पेश की गई। इनके आधार पर बाल अपचारी को दोषी पाया गया।
क्या था पूरा मामला!
लखीमपुर जनपद के निघासन थाना इलाके में 14 सितंबर 2022 को दो सगी बहनों की लाश घर से 1 किलोमीटर दूर एक पेड़ पर लटकी मिली थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सगी बहिनों की हत्या गला दबाकर की गई थी और हत्या से पहले उनके साथ गैंगरेप किया गया था। इस दोहरे हत्याकांड के बाद पूरा गांव छावनी बन गया था, चारों तरफ पुलिस मौजूद थी।
मां के सामने ही उठाया था सगी बहिनों को
इस जघन्य कृत्य को करने वाले आरोपी सगी बहिनों को मां के सामने ही बाइक से उठाकर से ले गए थे। पुलिस ने मां के द्वारा बताए गए नामों के आधार पर 24 घंटे के अंदर इस जघन्य कृत्य को काटने वाले 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में 11 अगस्त 2023 को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, जिसमें इस वारदात को अंजाम देने वाले चार दोषियों में दो को उम्रकैद, जबकि दो को 6-6 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा था, आज उसको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
सजा सुनाने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश राजीव सिंह ने कहा कि यह दुस्साहसिक अपराध है, जन सामान्य में यह दहशत पैदा करने वाला है, इसीलिये कम उम्र होने के बाद भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा रही है। इसे पहले विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा, कि बाल अपचारी के अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार्य नहीं है कि दंड दिये जाने के लिए पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड को प्रेषित कर दी जाये, इस मामले में दोषी बाल अपचारी ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर दो सगी नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप किया और फिर उनकी गला दबाकर हत्या की, यह ऐसा कृत्य है जो न सिर्फ दुस्साहसिक है ,बल्कि जन सामान्य में दहशत पैदा करने वाला भी है। न्यायालय ने कहा, कि आरोपी ने आपराधिक कृत्य को छिपाने के लिए शव की गरिमा के साथ भी अपराध किए हैं और मृतिकाओं के शव को लटका देने का काम एक आम आदमी के शरीर में सिहरन पैदा कर देता है। यह कोई सामान्य अपराध नहीं, यह विरल अपराध है। न्यायालय ने पंजाब उच्च न्यायालय और हरियाणा के एक वाद का हवाला दिया, इसके बाद धारा 302, 302 / 34, 323, 452, 363,376 DA , 201 IPC, 5G/6 पॉक्सो में सजा सुनाई है।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने रखी थी यह दलील
पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता बृजेश पांडेय ने दलील देते हुए कहा कि बाल अपचारी 16 और 15 साल की सगी बहनों को उनके घर में घुसकर जबरदस्ती मां के सामने से उठाकर ले गया था। उनके साथ गैंग रेप किया, यही नहीं, उनकी हत्या कर दोनों को पेड़ पर लटका दिया था। उन्होंने दलेल रखते हुए कहा कि भारत वह देश है, जहां नारियों की पूजा होती है। सुहैल ने नारियों के खिलाफ गंभीर अपराध किया है। उसका यह अपराध समाज और देश को प्रभावित करने वाला है। इसी लिए बाल अपचारी को IPC की धारा-302 और धारा-06 में अधिकतम दंड मृत्यु दंड से दंडित किया जाए।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता बोले आरोपी को रखा जाए किशोर न्याय बोर्ड में, सुधारने की पूरी संभावना
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बाल अपचारी के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि घटना के वक्त उसकी उम्र 16 से 18 साल की थी, इसलिये देश और समाज के लिये यह बालक निरंतर खतरा नहीं है। उसके सुधरने की पूर्ण संभावना है। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा-21 में बालक को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास नहीं दिया जा सकता है, इसलिए आरोपी को किसी भी कम अवधि के कारावास से दंडित किया जा सकता है।