
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 पर अहम फैसला सुनाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुआ कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। इसे निश्चित समय के लिए लाया गया था, केंद्र की तरफ से लिए गए हर फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर केंद्र के फैसले से किसी तरह की मुश्किल खड़ी हो रही हो, तभी इसे चुनौती दी जा सकती है, इसीलिए जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बरकार रहेगा।
पांच जजों की पीठ ने कहा कि आर्टिकल 356 के बाद केंद्र केवल संसद के द्वारा कानून ही बना सकता है, ऐसा कहना सही नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इस फैसले में 3 जजों के जजमेंट हैं। एक फैसला मेरा, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत का है। दूसरा फैसला जस्टिस कौल का है। जस्टिस खन्ना दोनों फैसलों से सहमत हैं।
23 याचिकाएं हुई थी दाखिल
केंद्र में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई और अमित शाह गृहमंत्री बने, उन्होंने 5 अगस्त 2019 को लोकसभा फिर राज्यसभा में बिल पेश और पारित कर जम्मूकश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर दिया था, साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो राज्यों में विभाजित कर दिया था, जिसमें एक जम्मूकश्मीर और लद्दाख को नया केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थी। जिसमें सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील हरीष साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह और दुष्यंत दवे ने अपना अपना पक्ष रखा था।
96 दिन बाद सुनाया फैसला
इस मामले की एक साथ सुनवाई की गई थी, जिसमें लगातार 16 दिन तक कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जो 5 सितंबर को खत्म हुई थी, और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके 96 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।