Sunday, August 3, 2025
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मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के पूर्व मंत्री संतेन्द्र जैन की अंतरिम जमानत 12 सितंबर तक बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी.के मिश्रा ने जमानत याचिका से खुद को किया अलग

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मनी लांड्रिंग केस में आम आदमी पार्टी के नेता, दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को मेडिकल आधार पर 12 सितंबर तक अंतरिम जमानत उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने दे दी है, वही इस मामले की सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने जमानत याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को खुद को अलग कर लिया।

आप नेता सतेंद्र जैन

दिल्ली के पूर्व मंत्री जैन को इस साल की शुरुआत में मेडिकल कारणों से अंतरिम जमानत दी गई थी। न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने अप्रैल में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सतेन्द्र जैन की याचिका पर सुनवाई करने वाली थी। पिछले सप्ताह खंड पीठ ने जैन की अंतरिम जमानत को दूसरी बार बढ़ाने पर सहमत हुई, जब सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने आप विधायक का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि था कि वह रीढ़ की हड्डी के कठिन ऑपरेशन के बाद पुनर्वास में हैं। जिस पर एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल एस.वी राजू के विरोध के बावजूद, जिन्होंने अंतरिम जमानत रद्द करने के बाद एम्स द्वारा स्वतंत्र जांच की वकालत की, खंडपीठ जैन के आत्मसमर्पण को 1 सितंबर शुक्रवार तक टालने पर सहमत हुई थी। अदालत ने उनकी मुख्य जमानत अर्जी को भी उसी दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था। जब शुक्रवार 1 सितंबर को खंडपीठ मामले पर सुनवाई के लिए बैठी तो सिंघवी ने मौखिक रूप से इस मामले का उल्लेख किया और पास-ओवर की मांग की। उन्होंने कहा, कि, “मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं स्थगन की मांग नहीं कर रहा हूं। मैं आज बहस करने के लिए तैयार हूं।”

जिस पर न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी से कहा, “हम इसे इस पीठ के समक्ष उठाने में असमर्थ हैं।” इस पर सिंघवी ने कहा, “मैं केवल पास-ओवर के लिए कह रहा था। लेकिन अगर माई लॉर्ड को सुनवाई में कोई कठिनाई है, लेकिन स्पष्ट रूप से, और एएसजी राजू मुझसे सहमत होंगे, यह मंगलवार का मामला है। कम से कम मुझे एक घंटा लगेगा। यह इस व्यक्ति के लिए जीवन और मृत्यु का मामला है।’
एडवोकेट सिंघवी ने इसके बाद अदालत से मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध करने का आग्रह किया।

जिस पर न्यायमूर्ति बोपन्ना ने अंततः जैन की जमानत याचिका के साथ ही सह-आरोपी अंकुश जैन की जमानत याचिका, जिसे सूचीबद्ध किया गया, उसको सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखने का निर्देश दिया, जिससे उस पीठ में पुन: नियुक्ति के लिए उचित आदेश प्राप्त किये जा सके,  जिसका न्यायमूर्ति पीके मिश्रा हिस्सा नहीं थे। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी के कहने पर वह पिछले सप्ताह आप नेता को दी गई अंतरिम जमानत को सुनवाई की अगली तारीख तक बढ़ाने पर भी सहमत हुये। साथ ही मुख्य न्यायाधीश से इसे उस पीठ के समक्ष रखने का आदेश प्राप्त करें, जिसका हममें से एक (न्यायमूर्ति पीके मिश्रा) हिस्सा नहीं है। आदेश प्राप्त किया जायेगा और 12 सितंबर को सूचीबद्ध किया जाएगा। अंतरिम आदेश अगली तारीख तक जारी रहेगा।”

 

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