Home सुप्रीम कोर्ट न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख

न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख

न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रुख
संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती

3 अक्टूबर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम के तहत एक मामले में राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कथित चीनी फंडिंग पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुये सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें दोनों की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। न्यूज क्लिक के पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है। जिनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के का उल्लेख किया।

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न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की ओर से याचिका दायर करते हुये वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “यह न्यूज़क्लिक मामला है, पत्रकार पुलिस हिरासत में हैं, एक 70 वर्षीय व्यक्ति है, जिस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सिब्बल से कागजात प्रसारित करने को कहा और कहा कि वह लिस्टिंग पर फैसला लेंगे।

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बता दे कि 13 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि आरोपियों की गिरफ्तारी कानूनी और वैध है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने न्यूज़क्लिक के कार्यालय और उसके संपादकों और पत्रकारों के आवासों पर की गई व्यापक छापेमारी के बाद गिरफ्तारियां की थी। 5 अगस्त को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक को “भारत विरोधी” माहौल बनाने के लिए चीन से धन प्राप्त हुआ था। इसके बाद दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़क्लिक से जुड़े पूर्व और वर्तमान पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर सिलसिलेवार छापे मारे गए। समाचार पोर्टल द्वारा कल एक बयान जारी किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि उसे एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई है और उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया जिनके लिए उस पर आरोप लगाया गया था।

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