
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिला अदालत के स्पेशल जज ने नक्सलियों सरकारी कारतूस की सप्लाई करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें 20 पुलिसकर्मियों सहित 24 को न्यायालय ने दोषी मानते हुये सजा सुनाई है। इस मामले में शामिल 22 दोषियों को 10-10 साल और 2 दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है, जबकि स्पेशल जज विजय कुमार ने सभी दोषियों पर 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जबकि मुख्य आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। जिन्हे कड़ी सुरक्षा के बीच हथकड़ी लगाकर कोर्ट लाया गया था।
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यह था मामला
मामला वर्ष 2010 का है। यूपी एसटीएफ को जानकारी मिली कि प्रदेश के कई जिलों से सरकारी आर्म्स का सौदा किया जा रहा है। 26 अप्रैल 2010 को इनपुट मिलने के बाद एसटीएफ ने रामपुर के ज्वालानगर में रेलवे क्रासिंग के पास से पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन को गिरफ्तार किया। इसके साथ ही सीआरपीएफ के विनोद पासवान और विनेश कुमार को भी एसटीएफ ने पकड़ा। इस दौरान एसटीएफ ने तीनों के पास से ढाई क्विंटल खोखा कारतूस और 1.76 लाख रुपए कैश बरामद किया था। इसके साथ ही 12 बोरों में इम्यूनिशन जब्त किया था। इनमें इंसास राइफल भी शामिल थी। इसके बाद एसटीएफ ने तीनों से पूंछतांछ की, तो कड़ियां खुलने लगीं। जांच में सरकारी असलहों का स्टॉक देखने वाले का नाम सामने आया, जो यूपी के अन्य जिलों में तैनात थे। इसके अलावा डायरी की भी मदद ली गई। फिर तीनों आरोपियों की निशानदेही पर बस्ती, गोंडा और वाराणसी समेत कई जिलों से पुलिस और पीएसी के आर्मोरर को गिरफ्तार किया।
27 जुलाई 2010 को आरोप पत्र हुए थे दाखिल
इसके बाद सभी को बी-वारंट पर रामपुर लाया गया था। पूरे मामले की तफ्तीश के बाद पुलिस ने 27 जुलाई 2010 को मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इसके तीन साल बाद 31 मई 2013 को कोर्ट ने सभी 25 आरोपियों पर आरोप तय कर दिए। मामले में इसी 4 अक्टूबर को बहस पूरी हो गई थी। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ कर्मियों पर नक्सलियों के हमले के बाद लखनऊ एसटीएफ को इनपुट मिला था कि पुलिस और सीआरपीएफ को दिए जाने वाले कारतूसों को बेचा जा रहा है।
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1 आरोपी की हो चुकी मौत, 14 पुलिस कर्मी अभी भी दे रहे सेवा
रामपुर के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि मामले में 25 लोगों पर आरोप पत्र दाखिल हुआ था। मुख्य आरोपी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंद की मौत हो चुकी है। दोषियों में चार सिविलियन के अलावा 20 पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के कर्मचारी हैं। इस कांड में यशोदानन्द सिंह, विनोद पासवान, विनेश, नाथीराम, राम कृष्ण शुक्ला, राम कृपाल, शंकर, दिलीप राय, सुशील कुमार मिश्रा, जितेंद्र कुमार सिंह, राजेश शाही, अमर सिंह, वंश लाल, अखिलेश कुमार पांडेय, अमरेश कुमार यादव, दिनेश कुमार द्विवेदी, राजेश कुमार सिंह, मनीष राय, मुरलीधर शर्मा, आकाश उर्फ गुड्डू, विनोद कुमार सिंह, ओमप्रकाश सिंह, रजय पाल सिंह, लोकनाथ और बनवारी लाल को आरोपी बनाया था। वर्तमान में जिन 20 पुलिस वालों को सजा सुनाई गई है। उनमें 6 लोग रिटायर हो चुके हैं। 14 लोग अभी भी नौकरी पर थे।