उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने लद्दाख प्रशासन द्वारा दायर JKNC के लिए ‘हल’ चिन्ह को अधिसूचित करने के लिए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देश को चुनौती देते हुए सिविल अपील नंबर 5707/2023 (@विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर-18727/2023 विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। इस मामले में 6 सितंबर (बुधवार) फैसला सुनाया है।
10 सितंबर को होना था चुनाव
फैसला सुनाते हुये दो जजो की खंडपीठ ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख द्वारा जारी आम चुनाव की अधिसूचना को रद्द कर दिया है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख द्वारा 5 अगस्त को कारगिल क्षेत्र में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद ((Ladakh Autonomous Hill Development Council) में आम चुनाव की घोषणा की गई थी। जिसमें 16 अगस्त 2023 से 26 अगस्त 2023 तक नामांकन प्रक्रिया चलनी थी और 10 सितंबर को चुनाव होना था।
हल चुनाव चिन्ह की हकदार है जेकेएनसी
खंडपीठ ने कहा कि “हल चुनाव चिन्ह” की जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी (JKNC) हकदार है। कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख द्वारा JKNC को ‘हल’ चिन्ह आवंटित करने के विरोध में दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने याचिका दायर करने के लिये लद्दाख प्रशासन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। प्रशासन को सात दिन के भीतर नये सिरे से चुनाव अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिये। दो जजों की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद 1 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते कहा, “इन कारणों से लद्दाख प्रशासन द्वारा जारी की गई पूरी चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी गई है। JKNC का मामला यह है कि ‘हल’ चिन्ह उसके लिए आरक्षित है, क्योंकि इसे भारत के चुनाव आयोग द्वारा जम्मू और कश्मीर की राज्य पार्टी के रूप में मान्यता दी गई।

एएसजी ने दिया था तर्क
केंद्रीय शासित प्रदेश की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने तर्क दिया कि JKNC लद्दाख में मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी नहीं है। इसलिए आरक्षित प्रतीक पर निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकती है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने चुनाव (चिन्ह) आदेश 1968 पर भरोसा करके गलती की, क्योंकि यह जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होता है। खंडपीठ ने तब बताया कि जम्मू-कश्मीर राज्य अब अस्तित्व में नहीं है और 2019 के बदलावों के बाद सभी भारतीय कानून इस क्षेत्र पर लागू होते हैं।
जेकेएनसी की तरह से अधिवक्ता शारिक रेयाज़ ने की थी पैरवी
JKNC के अधिवक्ता शारिक रेयाज़ ने तर्क दिया, “जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 के तहत मान्यता प्राप्त राज्य राजनीतिक दल के रूप में वे LAHDC चुनाव ‘हल’ चिन्ह पर लड़ने के हकदार हैं, जो उन्हें आवंटित किया गया था। इस प्रतीक के साथ ऐतिहासिक संबंध है और यह दृश्य प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य करता है, जो मतदाताओं के साथ प्रतिध्वनित होता है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को JKNC के लिए ‘हल’ चिन्ह आरक्षित करने का निर्देश दिया था। अदालत ने आदेश दिया कि JKNC यह सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करे कि ‘हल’ प्रतीक चिन्ह उनके लिए विधिवत आरक्षित है। चुनाव आयोग को JKNC द्वारा आरक्षित प्रतीक चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को सूचित और अनुमति देते समय चुनाव प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैराग्राफ 10 और 10 (ए) के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया गया था।
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