Thursday, July 31, 2025
spot_img
Homeदिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी को आठ उम्मीदवारों के प्रवेश पत्र जारी करने...

सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी को आठ उम्मीदवारों के प्रवेश पत्र जारी करने के दिये निर्देश, मुख्य परीक्षा 2023 में अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी को संघ लोक सेवा आयोग ने कर दिया था रद्द

spot_img

बुधवार को उच्च न्यायालय (supreme court) के न्यायमूर्ति ए. एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने रिट पिटीशन(सिविल) नंबर 979/2023 दीपांशु और अन्य बनाम यूपीएससी और रिट पिटीशन(सिविल) नंबर 977/2023 प्रणव केशरवानी एवं अन्य बनाम यूपीएससी के मामले में सुनवाई करते हुये एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें 15 सितंबर (शुक्रवार) को होने वाली संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की मुख्य परीक्षा 2023 में अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी, अदालत ने संघ लोक सेवा आयोग को मुख्य परीक्षा के लिये आठ उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र जारी करने के निर्देश दिये। हालांकि यह अंतरिम राहत उनकी याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगा, इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।

मुख्य परीक्षा-2023 से 8 अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी कर दी थी रद्द

बता दे कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 8 अभ्यर्थियों की उम्मीदवारों रद्द कर दी थी, छह याचिकाकर्ताओं के ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में कुछ त्रुटियों का हवाला दिया था, जबकि दो याचिकाकर्ताओं की शैक्षणिक योग्यता के समर्थन में अनंतिम प्रमाणपत्र जमा न करने के कारण उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी।

न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने आदेश दिया,“जहां तक याचिकाकर्ता एक और दो का सवाल है, स्नातक परीक्षा के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं और इसलिये इस स्तर पर, क्या वे योग्य होंगे यह एक ऐसा पहलू है जिस पर बाद में विचार की आवश्यकता है।“

कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता को बैठने की नहीं दी गई अनुमति, तो उनके हित होगे प्रभावित 

अदालत ने कहा “15 सितंबर को सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा आयोजित होने वाली है, यदि याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई तो उनके हित प्रभावित होंगे। इसे इस याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन बनाते हुये, हम प्रतिवादी को परीक्षा में बैठने के लिए आवश्यक प्रवेश टिकट जारी करने का निर्देश देते हैं।” इसी तरह की राहत छह अन्य याचिकाकर्ताओं को भी दी गई, जिनकी उम्मीदवारी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में त्रुटियों के कारण खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से और अधिवक्ता तान्या श्री और अधिवक्ता गौरव अग्रवाल उपस्थित हुये।

याचिकाकर्ताओं की ओर अधिवक्ता तान्या श्री और गौरव अग्रवाल ने रखा पक्ष

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता प्रासंगिक समय में छात्र थे और योग्यता परीक्षा के अंतिम वर्ष में थे। उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालयों द्वारा DAF-I जमा करने के बाद परिणाम घोषित किए गए हैं, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने योग्यता परीक्षा उत्तीर्ण की है। इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने DAF-I भरते समय अपने संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा जारी अपना बोनाफाइड प्रमाण पत्र और एक वचन पत्र प्रस्तुत किया कि जैसे ही उन्हें यह उपलब्ध कराया जाएगा, वे अपनी अंतिम डिग्री जमा कर देंगे।

विद्धान अधिवक्ता ने “याचिकाकर्ता संख्या 8- श्वेता तिवारी का उदाहरण बताया जहां प्रतिवादी ने मनमाने ढंग से इस आधार पर उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दी थी कि ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र पर ओवरराइटिंग थी।” उन्होंने प्रस्तुत किया कि “सक्षम प्राधिकारी ने स्पष्ट किया था कि ऐसी कोई भी ओवरराइटिंग उनकी ओर से है और याचिकाकर्ता संख्या 8 की कोई गलती नहीं है, फिर भी प्रतिवादी द्वारा उक्त प्रमाणपत्र पर विचार नहीं किया जा रहा है।”

विद्धान अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा कि “सिविल सेवा नियम, 2023 के नियम 3 नोट II के अनुसार, एक उम्मीदवार जो यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा, 2023 के लिए उपस्थित हुआ है, उसका अटेम्प्टड गिना जाता है, चाहे वह मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करता हो या नहीं। वर्तमान मामले में, जिन याचिकाकर्ताओं ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए विधिवत अर्हता प्राप्त कर ली है और उनके पास मुख्य परीक्षा, 2023 के समय अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता है। यदि इस स्तर पर उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी जाती है, तो वे बिना किसी गलती के अपना अटेम्प्टो खो देंगे।” उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को इस आधार पर बाहर करना कि उन्होंने नियत तारीख यानी 19 जुलाई, 2023 तक अपनी शैक्षणिक योग्यता का सबूत जमा नहीं किया था, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि याचिकाकर्ताओं के परिणाम DAF-I जमा करने के बाद घोषित किए गए थे- मनमानी होगा। ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों में विसंगतियों के मामले में अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने तर्क दिया कि यूपीएससी द्वारा मामूली त्रुटियों के आधार पर उम्मीदवारों को अस्वीकार करना अनुचित और मनमाना था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments