
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने बिहार सरकार को बड़ी राहत दी है। पीठ ने जाति-आधारित सर्वेक्षण की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुये जारी आंकड़ों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, “हम किसी राज्य सरकार के किसी काम पर रोक नहीं लगा सकते, मगर पीठ ने बिहार सरकार को नोटिस देते हुये जनवरी 2024 तक जबाब देने को कहा, सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के 2 अगस्त को जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा। साथ ही कहा, “हम इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे”।
बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को जारी की थी जाति-आधारित गणना
बता दे कि बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को जाति-आधारित गणना के आंकड़े जारी किये थे, जिसके बाद 3 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जाति-आधारित गणना के आंकड़े जारी किये जाने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जाति-सर्वेक्षण डेटा प्रकाशित करने पर आपत्ति जताई
जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने बिहार राज्य सरकार द्वारा 2 अक्टूबर के शुरू में जाति-सर्वेक्षण डेटा प्रकाशित करने पर आपत्ति जताई, जबकि मामला विचाराधीन था। उन्होंने कहा, “उन्होंने अदालत से भी छूट ले ली है। हम रोक पर बहस कर रहे थे।” वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने तर्क दिया कि जाति विवरण मांगने का राज्य का निर्णय केएस पुट्टास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत था, जिसने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी, क्योंकि राज्य ने अभी तक सर्वेक्षण के लिए कोई “वैध उद्देश्य” नहीं दिखाया है। उन्होंने न्यायालय से यथास्थिति का एक अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया, जिसमें राज्य को सर्वेक्षण डेटा पर कार्रवाई न करने के लिए कहा जाए। वही वारिस्थ अधिवक्ता श्री सिंह ने आग्रह किया, “इस डेटा पर कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि इसे गैरकानूनी तरीके से एकत्र किया गया था।”
बिहार सरकार के अधिवक्ता से कोर्ट ने पूंछा सवाल
याचिकाकार्ता के अधिवक्ता अपराजिता सिंह द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्क के बिंदु पर,न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने बिहार राज्य की ओर से पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से पूछा, ” आपने इसे क्यों प्रकाशित किया?” जिस पर बिहार सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले वारिस्थ अधिवक्ता श्याम दीवान ने संकेत दिया कि अदालत ने तारीख के प्रकाशन के खिलाफ कभी कोई आदेश पारित नहीं किया। इस अदालत ने संकेत दिया कि सबसे पहले वह यह तय करेगी कि नोटिस जारी किया जाए या नहीं।”
पीठ ने सुनवाई की स्थगित
बिहार सरकार की तरफ से पक्ष सुनने के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, “मामले को विस्तार से सुनने की आवश्यकता है, जिसके बाद पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी और याचिकाओं पर राज्य सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किया और जनवरी 2024 तक जबाब देने को कहा। वही पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला काफी विस्तृत है।
पीठ के द्वारा सुनवाई स्थगित किए जाने से पहले याचिकाकर्ता के पीआर से पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने यथास्थिति आदेश की दलील दोहराई, लेकिन पीठ ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा, “हम राज्य सरकार या किसी भी सरकार को निर्णय लेने से नहीं रोक सकते। यह गलत होगा। लेकिन, यदि डेटा के संबंध में कोई मुद्दा है, तो उस पर विचार किया जाएगा। हम इस अभ्यास का संचालन करने के लिए राज्य सरकार की शक्ति के संबंध में अन्य मुद्दे की जांच करने जा रहे हैं”।