Thursday, June 12, 2025
spot_img
Homeमध्य प्रदेशसुप्रीम कोर्ट ने राज्यों द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की रेवड़ी बांटने...

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की रेवड़ी बांटने वाली याचिका पर एमपी-राजस्थान के सीएम के साथ चुनाव आयोग को भेजा नोटिस, चुनाव आयोग से 4 हफ्ते में जबाब देने को कहा

spot_img

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिट याचिका (सिविल) नंबर 1044/2023 भट्टूलाल जैन बनाम भारत संघ के मामले में सुनवाई करते हुये मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ भारत संघ, भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। यह नोटिस इलेक्शन के पहले फ्री दी जाने वाली नकद सहायता प्रस्तावों को लेकर दिया गया है साथ ही पीठ ने भारत के चुनाव आयोग से चार हफ्ते में जबाब मांगा है। वही पीठ ने कहा कि याचिका को रिट याचिका (सिविल) 43/2022, अश्विनी उपाध्याय बनाम भारत संघ के मामले के साथ टैग किया जाएगा, इस याचिका में भी चुनाव में मुफ्त का मुद्दा उठाया गया था। जिसे अगस्त 2022 में तीन जजों की पीठ संदर्भित किया गया था।

इसे भी पढे:-सुप्रीम कोर्ट ने जाति-आधारित गणना के डेटा पर रोक लगाने से किया इनकार, बिहार सरकार को याचिका पर नोटिस जारी कर मांगा जनवरी 2024 तक जवाब

सुप्रीम कोर्ट में भट्टूलाल जैन ने याचिका दायर की थी, याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की वित्तीय हालात बहुत खराब है, यह भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से पता चला है, हालतर खराब होने के बाद भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले नकद लाभ की घोषणा की। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क देते हुये कहा कि मप्र राज्य में स्थिति इतनी खराब है कि राज्य द्वारा लोन लेने के लिए सार्वजनिक संपत्तियों को गिरवी रखा गया है।

इसे भी पढे:- दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार आप सांसद संजय सिंह को राउज एवेन्यू कोर्ट ने 10 अक्टूबर तक ईडी को दी कस्टडी, मनीष सिसौदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट 12 अक्टूबर को करेगा सुनवाई

जिस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा चुनाव से पहले सभी प्रकार के वादे किये जाते हैं। क्या हम उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं? जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने उत्तर दिया, “सार्वजनिक हित क्या है और क्या नहीं, इसके बीच एक रेखा खींचनी होगी। नकदी बांटना, सरकार को नकदी वितरित करने की अनुमति देने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं है। चुनाव से छह महीने पहले ये चीजें शुरू हो जाती हैं और इसका बोझ इनकम टैक्स देने वाले नागरिकों पर पड़ता है। जिसके बाद सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर विचार करने को राजी हो गई। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को पार्टियों की सूची से हटाने और उनकी जगह संबंधित राज्य सरकारों को देने को भी कहा और इस पर मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ भारत संघ, भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और चुनाव आयोग को 4 हफ्ते में जबाब देने को कहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments