Wednesday, July 30, 2025
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सुप्रीम कोर्ट का चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर फैसला, PO अनिल मसीह ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में किया हस्तक्षेप, आपराधिक कार्रवाई के दिये आदेश

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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला पीठ ने कुलदीप कुमार बनाम केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ के मामले में दायर SLP(C) नंबर 002998 / 2024 के मामले में सुनवाई की, जिसमें पीठ ने AAP-कांग्रेस पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का नया मेयर घोषित कर दिया।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को मतगणना प्रक्रिया के दौरान चुनाव परिणामों में जानबूझकर हस्तक्षेप करने के उनके प्रयास में कड़ी फटकार लगाई। साथ ही पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को अदालत के समक्ष गलत बयान देने के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आपराधिक कार्यवाही का नोटिस दिया है। कोर्ट ने कहा कि अफसर ने अदालत में झूठ बोला,

मामले की सुनवाई के द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए कहा, “चंडीगढ़ मेयर चुनाव में डाले गए वोटों की दोबारा गिनती की जाए। पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने जिन 8 मत पत्रों पर निशान लगाए थे, उन सभी को वैध माना जाये, सभी बैलट्स की गितनी के आधार पर जीतने वाले कैंडिडेट का फैसला हो।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अनिल मसीह चंडीगढ़ नगर पालिका के नामांकित पार्षद, जो भाजपा से हैं, वह दुष्कर्म के दोषी हैं। उन्होंने जानबूझकर आप-कांग्रेस पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के पक्ष में आठ मतपत्रों को अवैध करने की कोशिश की।

मुख्य न्यायधीश ने आदेश में कहा, “यह स्पष्ट है कि 8 मतपत्रों में से प्रत्येक में वोट याचिकाकर्ता के पक्ष में विधिवत डाला गया। पीठासीन अधिकारी ने मतपत्र को अवैध रूप से डाला गया मानने के लिए आधार बनाने के उद्देश्य से स्पष्ट रूप से अपना स्वयं का चिन्ह लगाया, यह स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी ने पीठासीन अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका और क्षमता में जो किया, वह गंभीर कदाचार का दोषी है।”

पीठ ने पाया कि गलत बयान देने के लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत उपयुक्त मामला बनाया गया। पीठ ने कहा, “रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देश दिया जाता है कि वह अनिल मसीह को नोटिस जारी कर बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई शुरू की जाए।

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