Sunday, August 3, 2025
spot_img
Homeउत्तर प्रदेशचिकित्सक की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही...

चिकित्सक की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत, 2013 में एक होटल में महिला ने चिकित्सक की हत्याकर काट दिया था प्राइवेट पार्ट

spot_img

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने क्रिमिनल अपील संख्या- 5365/2016 प्रीति लता बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में 28 अगस्त को सुनवाई करते हुए आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को जमानत दे दी। 2013 में महिला पर एक चिकित्सक की हत्याकर प्राइवेट पार्ट काटने का आरोप था, 2016 में कानपुर देहात की अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोषी महिला द्वारा दायर की गई हिरासत अवधि वाली दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करने के बाद यह आदेश पारित किया है।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “मामले की समग्रता को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से अपीलकर्ता की हिरासत की अवधि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपील के अंतिम निपटान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कुछ समय लग सकता है, इसीलिए मामले के गुण पर और टिप्पणी किये बिना हम अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने के इच्छुक हैं।”

आजीवन कारावास की सजा काटने वाली महिला ने 2013 में एक होटल में चिकित्सक की हत्या कर उसके प्राइवेट पार्ट को सर्जिकल ब्लेड से काट दिया था, जिसके बाद उसने कटे हुये प्राइवेट पार्ट के हिस्से को डिब्बे में पैक कर पार्सल कर कूरियर के माध्यम से मृतक चिकित्सक की पत्नी को भेजा था। जब महिला को गिरफ्तार किया गया था, तब यह जांच के दौरान पता चला था।

इस मामले में 2016 में सुनवाई के बाद कानपुर देहात के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर महिला को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के समक्ष आजीवन कारावास की सजा काटने वाली महिला की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ता सियाराम वर्मा, लोकनाथ शुक्ला, मैरी पुंचा(शीब जोस), मोहम्मद कलीम, प्रदीप कुमार मिश्र, राज कुमार तिवारी, विनय सरन ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता पहले ही 10 साल से अधिक की वास्तविक जेल की सजा काट चुकी है और चूंकि उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील के अंतिम निपटान में कुछ समय लगेगा इसलिए उसे अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। इस संबंध में उनके अधिवक्ता ने सौदान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और सुलेमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। हालांकि दूसरी ओर राज्य सरकार के अधिवक्ता जीए विंध्याचल सिंह ने जमानत याचिका का विरोध किया, लेकिन हिरासत की अवधि पर वह विवाद करने की स्थिति में नहीं थे।

मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने इसे देखते हुए अपीलकर्ता को जमानत देते हुये उससे संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए 50 हजार रुपये की राशि के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतदार पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया। न्यायालय ने उसकी अपील को उचित समय पर अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया।

ऑर्डर की कॉपी यहाँ से प्राप्त करे

preeti lata vs state of up

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments