
जालौन के कदौरा इलाके में लगभग साढ़े 6 साल पहले जमीन वटवारे के विवाद में विधवा भाभी की देवर ने सिलबट्टा से सिर कुचलकर हत्या कर दी थी, इस मामले में मंगलवार को जालौन के न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) के न्यायाधीश शिवकुमार ने साक्ष्य और गवाहों के आधार युवक को गैर इरादतन का दोषी मानते हुए 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई, साथ ही 25 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है, बारे जुर्माना अदा न करने पर 1 वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। युवक पर महिला के पिता ने हत्या का मुकदमा पंजीकृत कराया था।
जमीन के बटबारे में हुई महिला की हत्या
महिला की हत्या 27 फरवरी 2018 को कदौरा थाना क्षेत्र के मदरा लालपुर में हुई थी। इस घटना के बारे में बताया गया कि इस गांव के रहने वाले इंद्रपाल पुत्र बालाजी की शादी 2012 में रामशंकर पुत्र रामस्वरूप निवासी ग्राम रसूलपुर भलार थाना देवराहट जिला रमाबाईनगर (कानपुर देहात) की पुत्री गुड्डो देवी के साथ हुई थी, शादी के कुछ साल बाद इंद्रपाल और गुड्डो ने एक बेटी को जन्म दिया था, मगर शादी के 2 साल बाद उसके दामाद इंद्रपाल की मृत्यु हो गई और गुड्डो विधवा हो गई थी। पति की मृत्यु होने के बाद गुड्डो ससुराल में रहकर ही मजदूरी करके अपना भरण पोषण कर रही थी, लेकिन उससे गुजारा नहीं हो रहा था, जिस कारण गुड्डा ने अपने ससुर बालाजी से खर्चा की मांग की, मगर ससुर द्वारा कोई भी खर्चा नहीं दिया गयाजिस पर गुड्डो के पिता रामशंकर द्वारा बेटी को खर्चा दिया गया।
27 फरवरी 2018 को हुई थी हत्या
27 फरवरी 2018 को रामशंकर अपनी बेटी की ससुराल मदरा लालपुर पहुंचे, इस दौरान गुड्डो ने ससुर की 10 बीघा जमीन में से पति के हिस्से की जमीन की मांग की, जिस पर ससुर बालाजी और देवर शिशुपाल नाराज हो गए, जब ससुर और देवर के गुस्से को गुड्डो ने देखा तो वह कमरे में चली गई थी, इसी दौरान लगभग 2 बजे पीछे से देवर शिशुपाल गया और उसने अपनी विधवा भाभी गुड्डो पर पत्थर के सिलौटा से सिर पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई, शोर सुनकर महिला का पिता पीछे से पहुंचा, जहां शिशुपाल ने पत्थर से अपनी भाभी के सिर पर हमला करके हत्या कर दी थी।
महिला के पिता ने लिखाया था मुकदमा
इस मामले में महिला के पिता रामशंकर द्वारा लड़की के देवर शिशुपाल के खिलाफ हत्या का मुकदमा पंजीकृत कराने के लिए कदौरा थाने में शिकायत की थी, जिस पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) का मामला पंजीकृत करते हुए आरोपी देवर को गिरफ्तार करते हुए जेल भेजकर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी।
हत्या में नहीं गैर इरादतन हत्या में हुई सजा
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता मोतीलाल पाल ने बताया कि 6 वर्ष बाद इसकी विस्तृत पत्रावली का अवलोकन किया गया, जिसमें अभियोजन और मुलजिम पक्ष की तरफ से पैरवी की गई, 6 साल तक चले ट्रायल के बाद मंगलवार को साक्ष्य व सबूत के आधार पर न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) के न्यायाधीश शिव कुमार द्वारा आईपीसी की धारा 302 में आरोपी देवर को दोषी न मानकर, गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 304 में देवर शिशुपाल को 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 25 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है, इतना ही नहीं अर्थ दंड न जमा करने पर 1 वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा। वही अभियुक्त द्वारा जेल में बिताई गई अवधि का समायोजन इस सजा में किया जाएगा।