
7 साल जालौन जनपद में एक महिला ने नाबालिग बेटे के साथ मिलकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, साथ ही उसके शव को कुएं में फेंक दिया था, जिससे उसके बारे में पता न चल सके, इस मामले में जालौन के न्यायालय एडीजे पॉक्सो के न्यायाधीश मोहम्मद कमर एडीजे ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हत्या करने वाले युवक को 30 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही अलग-अलग धाराओं में 12 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले में युवक की मां को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ने फरवरी 2024 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
विवाद सुलझाने के बहाने ले जाकर कर दी थी मां बेटे ने हत्या
हत्या का मामला 7 साल पुराना है। जनपद जालौन के आटा थाना क्षेत्र के बम्होरी कला की रहने वाली महिला क्रांति देवी उर्फ और ऐर वाली तथा उसका नाबालिक पुत्र जितेंद्र कुमार उरई के इंद्रा नगर के रहने वाले अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा को 5 नवंबर 2016 को घर से यह कहकर ले गए थे कि उसकी बेटी रेखा और रूबी की पंचायत में मामला सुलझाना है, मगर उसके बाद अमृतलाल घर वापस नहीं लौटा था, जिस पर परिजनों ने उसकी खोजबीन की, थी और क्रांतिदेवी और उसके घर जाकर संपर्क भी किया था कि अमृतलाल कहा है, जिस पर मां बेटे ने यह कहकर बापिस भेज दिया था कि वह पंचायत निपटाने के बाद चला गया, लेकिन उसके बाद अमृतलाल का कहीं पता नहीं चल सका था
18 जनवरी 2017 को कुएं में मिला था शव, मोर्चरी से मिली थी सूचना
18 जनवरी 2017 को अमृतलाल के लड़के देवर्षि के मोबाइल पर फोन आया कि उसके पिता जिसको अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा कहते हैं, उसका शव मोर्चरी में रखा है, जिस पर अमृतलाल की पत्नी सत्तो देवी और उसका पुत्र देवर्षि परिवार के साथ मोर्चरी पहुंचे थे, जहां कपड़ो तथा कलवा आदि से अमृतलाल की पहचान हुई थी।
मृतक की पत्नी ने मां-बेटे के खिलाफ लिखाया था हत्या का मुकदमा
इस मामले में अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा की पत्नी सत्तो देवी ने पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया था, कि मेरे पति अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा की क्रांति, उसके पुत्र जितेंद्र तथा लड़कियों ने मिलकर हत्या कर दी है, हत्या को छुपाने के उद्देश्य से शव को बम्होरी और चमारी ग्राम के बीच में स्थित कुएं में फेंक दिया। प्रार्थना पत्र में यह भी बताया था की क्रांति उर्फ ऐर वाली ने उसके पति पर गलत आरोप लगाया था कि उसकी लड़की के साथ बाबा ने बलात्कार किया है, मगर मामला रुपए के लेनदेन का था, इस षड्यंत्र के तहत उसके पति की हत्या की गई थी, इस शिकायत के बाद पुलिस ने मां-बेटे के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने के मामला दर्ज करते हुए जांच की, जिसमें हत्या की पुष्टि हुई थी। जिस पर पुलिस ने क्रांति देवी और उसके बेटे जितेंद्र राजपूत के गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
हत्या में मां क्रांति को 6 माह पहले हो चुकी आजीवन कारावास की सजा
इस मामले की पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता बृजराज सिंह राजपूत और विश्वजीत सिंह गुर्जर ने संयुक्त रूप से अवगत कराते हुए बताया कि आटा थाने में मां बेटे के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 34 और 201 में मामला पंजीकृत हुआ था, जिसमें मां बेटे को जेल भेज दिया था, साथ ही इस मामले की विवेचना करने वाले आटा थाने के प्रभारी निरीक्षक विनोद मिश्रा ने दोनों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए थे, इस मामले में क्रांति देवी को न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम के न्यायाधीश अचल लवानिया (एचजेएस) ने सुनवाई पूरी होने के बाद 19 फरवरी 2024 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, मगर जितेंद्र राजपूत नाबालिक पाया गया था, जिस पर जितेंद्र राजपूत के अधिवक्ता ने किशोर घोषित करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था।
किशोर होने के कारण रोक दी थी सजा
शासकीय अधिवक्ता बृजराज सिंह राजपूत और विश्वजीत सिंह गुर्जर ने जितेंद्र राजपूत नाबालिग था, जिस कारण मामले को न्यायालय एडीजे पॉक्सो कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था, 6 माह तक इस मामले की सुनवाई पूरी हुई और जितेंद्र के बालिग साबित होने पर गुरुवार को जालौन के न्यायालय एडीजे पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद कमर एडीजे द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अमृतलाल उर्फ ढोंगी बाबा की हत्या के आरोप साबित होने और जितेंद्र राजपूत को साक्ष्य और गवाहों के आधार पर 30 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई, साथ ही धारा 201 में 2 वर्ष और आईपीसी की धारा 302 और 34 में 10 हजार तथा आईपीसी की धारा 201 में 2 हजार रुपए कुल 12 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया है, दोनों सजा एक साथ चलेगी, वही जुर्माना अदा न करने पर 2 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।