Thursday, July 31, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की उस याचिका को किया खारिज, जिसमें चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम, वीवीपैट की प्रथम स्तरीय जांच को दी थी चुनौती

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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 21693/2023 अनिल कुमार बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य के मामले दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, साथ ही भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा- “हमारे लिए हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। अब हमारे इसमें शामिल होने से चुनाव में पूरी तरह से देरी होगी, हम इसमें शामिल नहीं होना चाहते। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसने समान आधार पर दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। जिसे जुलाई 2023 में दिल्ली के ग्यारह जिला कार्यालयों में भारत के चुनाव आयोग द्वारा आयोजित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और मतदाता वैरिफाइड पेपर ट्रेल्स की “प्रथम स्तरीय जांच” को चुनौती देने के लिये दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार द्वारा दायर की गयी थी।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की पार्टी, “दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी को ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों की “विशिष्ट पहचान संख्या” प्रदान नहीं की गई। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पार्टी को इसके लिये चुनाव आयोग से संपर्क करना चाहिए था और इसके बजाय, उसने भाग नहीं लिया। अधिवक्ता ने यह कहते हुए जवाब दिया कि किसी भी पक्ष ने भाग नहीं लिया था। जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, इसमें कोई भी दल शामिल नहीं हुआ, तो इसका मतलब है कि प्रक्रिया में विश्वास है।

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इस पर याचिका के अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा- “जब यह मशीनें बनकर संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के गोदाम भेजी जाती हैं, तो वे प्रत्येक मशीन की विशिष्ट पहचान तैयार करते हैं। पहचान मशीनों के साथ भेजी जाती है। रास्ते में क्या होता है, किसी को पता नहीं चलता और यह दिल्ली वेयरहाऊस में प्राप्त होती है। भेजे गए नंबरों और उन्हें मिलने वाले नंबरों का कोई मिलान नहीं है। जिस पर सीजेआई ने कहा, “हाईकोर्ट ने इस पर विस्तार से विचार किया है। राजनीतिक दल की भागीदारी एक कदम है। सिर्फ इसलिए कि पार्टी भाग नहीं लेती है इसका मतलब यह नहीं है कि प्रक्रिया खराब है।

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जिस पर याचिका के अधिवक्ता ने कहा, “उनके पास गया और उन्होंने एफएलसी प्रक्रिया पूरी होने तक मुझे कोई जवाब नहीं दिया। यह विशिष्ट पहचान जो उन्होंने एफएलसी पूरी होने के बाद मुझे प्रदान की है।

जिस पर सीजेआई ने कहा, “उन्होंने मुझे पहले क्यों नहीं दी? याचिका खारिज करते हुये कहा, “प्रक्रिया बहुत विस्तृत है। पार्टियों को इस पर भरोसा है। इसे पूरे भारत में दोहराया गया है। हम इसे वहीं छोड़ देंगे। याचिका को वापस ले लिया गया, मानकर खारिज किया जाता है।”

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