Wednesday, July 30, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को लगाई फटकार, मामले में 5 दिसंबर को होगी सुनवाई

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सोमवार को बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से जजों की नियुक्ति को लेकर दायर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई करते हुये कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है।

पीठ बोली, पसंद-नापसंद की नीति ठीक नहीं 

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जजों की नियुक्ति में पसंद-नापसंद की नीति ठीक नहीं है। ये कानून के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। यह देश में गलत संदेश देता है।  मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि जजों की नियुक्ति और तबादले भी सरकार अपनी पसंद नापसंद के मुताबिक कर रही है। हमने इसके लिए सरकार को पहले भी आगाह किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।

तबादले की सिफ़ारिश वाली फाइल अभी भी लटकी है

इस मामले की सुनवाई करते हुये खंडपीठ ने कहा- अभी भी इलाहाबाद, दिल्ली, पंजाब और गुजरात हाईकोर्ट में जजों के तबादले की सिफारिश वाली फाइल सरकार ने अपने पास लटका रखी है। गुजरात हाईकोर्ट में तो चार जजों के तबादले पेंडिंग हैं। इन पर सरकार ने अब तक कुछ भी नहीं किया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि दोबारा भेजे गये नामों पर नियुक्ति नहीं करना परेशान करने वाला है। कॉलेजियम की सिफारिशों पर अमल करने के लिए और वक्त देते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र इसका समाधान लेकर आये।

अटार्नी जनरल बोले, विधानसभा चुनावों में व्यस्तता की वजह से हुयी देरी

इस मामले में सरकार की ओर से पक्ष रखते हुये अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि वर्तमान में विधानसभा चुनावों में व्यस्तता की वजह से इसमें देरी हुई है। सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं थी। हमने सरकार को सूचित कर रखा है।

इस पर पीठ ने कहा कि हमने हाईकोर्ट में 14 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है, लेकिन नियुक्ति सिर्फ गुवाहाटी हाईकोर्ट में हुई। सरकार की इस पसंद-नापसंद से जजों के वरिष्ठता के क्रम पर असर पड़ता है। वकील जज बनने के लिए अपनी मंजूरी वरिष्ठता के लिए ही तो देते हैं। जब इस पर अमल नहीं होगा, तो वे जज बनने को क्यों राजी होंगे। पिछली बार हमने जो नाम दोहराए थे, उनमें से 8 अब तक पेंडिंग हैं।

पीठ ने कहा कि हमें पता है वह नाम क्यों लटकाए गए हैं। हमें सरकार की चिंता भी मालूम है। आधे से ज्यादा नाम सरकार ने क्लियर नहीं किए। हमारी जानकारी के अनुसार, आपने 5 लोगों के लिए तबादला आदेश जारी किए हैं, लेकिन 6 अन्य के लिए नहीं, उनमें से 4 गुजरात से हैं। यह अच्छा संकेत नहीं है। इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि अदालत सरकार को थोड़ा और वक्त दे। इस पर पीठ ने कहा कि केंद्र इसका समाधान लेकर आये, इस पर 5 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।

 8 की नियुक्तियों की फाइल पेंडिंग

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा- कॉलेजियम ने 11 जजों के ट्रांसफर की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी, लेकिन इसमें से 5 जजों का तो ट्रांसफर हो गया, लेकिन 6 के अभी भी रुके हुए हैं। उनमें से चार गुजरात से हैं, एक दिल्ली से और एक इलाहाबाद से है। इसके अलावा 8 नियुक्तियों पर भी सरकार ने फैसला नहीं लिया है।

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